Chaiti Chhath Puja : नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा चैती छठ पूजा

Chaiti Chhath Puja : नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा चैती छठ पूजा

लोक आस्था का महापर्व चैत्र छठ पूजा की शुरुवात आज यानि 16 अप्रैल के दिन के शुरू होने जा रहा है| इस पर्व को यूपी, बिहार, झारखण्ड समेत अन्य राज्यों में भी लोग मनाते है| लेकिन मुख्य रूप से इस महापर्व को बिहार राज्य में काफी धुम-धाम से मनाया जाता है|

छठ महापर्व की शुरुवात आज से नहाय-खाय के साथ शुरू होगी और चार दिवसीय इस पावन पर्व का समापन 19 अप्रैल को उगते हुए सूर्य भगवान की पूजा के साथ होगा|

चैती छठ पूजा 2021 : खरना से लेकर अर्ध्य तक की तिथि

पहले दिन नहाय-खाय की तिथि :-16 अप्रैल 2021, शुक्रवार : छठ पर्व की शुरुआत 16 अप्रैल 2021 को नहाय- खाय के साथ शुरू होगा| इस पर्व में साफ़-सफाई का बहुत ज्यादा ख्याल रखा जाता है| इस पर्व के शुरुवात से ही पूरे घर की साफ–सफाई की जाती है|

उसके बाद स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जता है और सभी व्रती इस दिन चने का दाल, अरवा चावल और कद्दू की सब्जी आदि का सेवन करती है|

दूसरे दिन खरना की तिथि :-17 अप्रैल 2021, शनिवार : इस दिन सभी छठ व्रती पूरे दिन व्रत रखती है और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनातीं है| सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण करती है और उनके खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है|

इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही सभी छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है|

तीसरे दिन शाम के अर्घ्य की तिथि:-18 अप्रैल 2021, रविवार : इसी दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर सभी छठ व्रती डूबते हुए सूर्य भगवान को अर्ध्य देती है|

छठ पूजा

सुबह के अर्घ्य की तिथि:-19 अप्रैल 2021, सोमवार : चार दिवसीय इस कठिन पर्व के आखिरी दिन सभी छठ व्रती सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं| इसेक बाद उगते सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन एवं पारण करती है|

छठी मैया का प्रसाद

छठी मैया को प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल से बनी खीर, गेंहू के आटे और गुड़ से बने ठेकुआ, पकवान, फल, फूल, ईख आदि प्रसाद के रूप में चढ़ायी जाती है|

छठी मैया का प्रसाद
छठी मैया का प्रसाद ठेकुआ

कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए आप सभी लोगों से गुजारिश है कि छठ पूजा के लिए नदी, तालाब या किसी सरोवर के बजाय अपने घर के छत पर ही बड़े टब में पानी भरकर अर्ध्य देने का प्रयास करें|

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