History of Dalmianagar Industries । भारत देश का सबसे पुराना औधोगिक शहर

History of Dalmianagar Industries । भारत देश का सबसे पुराना औधोगिक शहर

Dalmianagar (Rohtas) Industries:- रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन शहर स्तिथ डालमियानगर औद्योगिक परिसर का इतिहास बहुत पुराना है। इसे लोग रोहतास औद्योगिक समूह के नाम से भी जानते है। डेहरी ऑन सोन शहर के काफी महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित होने के कारण डालमियानगर औद्योगिक परिसर ने इतना नाम कमाया कि डालमियानगर की एक अपनी पहचान पुरे देश में बन गयी। 20वीं शताब्दी में डालमियानगर औद्योगिक भारत ही नहीं बल्कि पुरे एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक परिसर एवं सबसे संपन्न इलाकों में से एक था।

डालमियानगर के औद्योगिक शहर की स्थापना उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया ने की थी, जो 20 वीं सदी के भारत में एक व्यवसायी और डालमिया समूह के संस्थापक थे। उधोगपति रामकृष्ण डालमिया ने उस समय के शाहाबाद जिले (वर्तमान में रोहतास जिला) के डेहरी-डालमियानगर को विश्व के नक़्शे पर स्थापित किया और इसकी पहचान औधोगिक नगरी के रूप में पुरे एशिया महादेश के समक्ष रखा।

Golden Era of Dalmianagar Industries । वर्ष 1933 में लगाया गया था डालमियानगर परिसर में पहला उद्योग

Sugar Mill, Dalmianagar

शाहाबाद जिले समेत अन्य क्षेत्रों के लिए स्वर्णिम सफर की शुरुआत तब हुई जब डालमियानगर औद्योगिक परिसर में उद्योग की शुरुआत वर्ष 1933 में हुई थी। उस समय शाहाबाद क्षेत्र में गन्ने की खेती बहुत ज्यादा होती थी इसी को मद्देनजर रखते हुए 18 मार्च 1933 को रोहतास शुगर लिमिटेड की शैली के तहत एक कंपनी पंजीकृत की गई थी, जिसकी अधिकृत पूंजी 30 लाख थी और जारी पूंजी 16.12 लाख थी।

22 अप्रैल 1933 को कंपनी ने अपना व्यापार शुरू कर दिया।

उद्योग एवं व्यापार के नजरिये से डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन से बिलकुल सटे डालमियानगर बिल्कुल ही आदर्श स्थान था क्योंकि डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन पूर्व रेलवे ज़ोन के कोलकता-नई दिल्ली ग्रैंड कॉर्ड लाइन पर मौजूद था। इसके अलावा यह क्षेत्र ग्रैंड ट्रंक रोड (GT Road), सोन नदी के साथ-साथ डेहरी-रोहतास लाइट रेलवे, सोन नहर प्रणाली एवं सड़कों के जाल के माध्यम से देश के दूरवर्ती क्षेत्रों से सीधा जुड़ा हुआ था।

15 मई 1933 को चीनी मिल के लिए सर सुल्तान अहमद द्वारा नींव का पत्थर रखा गया था। इसके बाद निर्माण कार्य को गति मिला और मात्र 7 महीने में इसे पूरा कर लिया गया था।

इसके बाद साल दर साल चीनी मिल के उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया और धीरे धीरे रोहतास चीनी मिल ने गुणवत्ता के मामले में अपने आप को एक बेहतरीन स्थान दिया।

1957-58 के समय में डालमियानगर फैक्ट्री तक गन्ने के आपूर्ति को पूरा करने के लिए 16 मील यानि लगभग 25.75 किलोमीटर लम्बे डालमियानगर-नासरीगंज रेलवे लाइन को खोला गया था। इसके अलावे पहले से चल रही डेहरी-रोहतास लाइट रेलवे को 29 किलोमीटर दक्षिण की ओर पिपराडीह तक विस्तार किया गया, जहाँ कम्पनी की नई चूना पत्थर (लाइमस्टोन) की खदानें स्तिथ थी। इस रेल लाइन के विस्तार से फैक्ट्री तक अधिक मात्रा में गन्ने पहुँचने लगे थे।

डालमियानगर औघोगिक परिसर (Source:- Twitter)

Paper Factory, Dalmianagar

डालमियानगर औद्योगिक परिसर में वर्ष 1938 के जुलाई-अगस्त माह में सालाना 6000 टन की उत्पादन क्षमता वाले एक पेपर मशीन की नींव रखी गई।

4 अप्रैल 1939 को इस पेपर फैक्ट्री के पहली मशीन का उद्घाटन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने किया था। इसके बाद पेपर उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए वर्ष 1953 में दो और मशीनों को लगाया गया जिसकी उत्पादन क्षमता 15 एवं 3 टन प्रतिदिन था। इसके अतिरिक्त 1956 में दो नई मशीनों को जापान से मंगाया गया जिससे बाद कंपनी ने अच्छे किस्म के हल्के कागज़ों का उत्पादन शुरू कर दिया था।

धीरे धीरे पेपर फैक्ट्री ने विस्तार किया और आने वाले कुछ वर्षों में ही यह कंपनी पुरे देश में सबसे अधिक पेपर उत्पादन करने वाली कंपनी में एक बन गई इसके साथ साथ यह कंपनी सभी किस्म के पतले से मोटे श्रेणी के कागज एवं तख़्ता (Board) का उत्पादन करती थी।

उस समय डालमियानगर की पेपर फैक्ट्री पुरे देश के 20 प्रतिशत कागज और तख़्ता का उत्पादन करती थी।

Cement Factory, Dalmianagar

सीमेंट फैक्ट्री के लिए मशीनों को डेनमार्क से लाया गया था। वर्ष 1937 में उस समय बिहार के तत्कालीन गवर्नर सर मॉरिस हैलेट ने प्रतिदिन 500 टन की क्षमता वाले सीमेंट फैक्ट्री का नींव रखा था। सीमेंट प्लांट का निर्माण कार्य 1939 में पूरा कर लिया गया था।

मार्च 1938 में स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने इस सीमेंट कारखाना का उद्घाटन किया था। उस समय यह सीमेंट कारखाना पुरे भारत में सबसे बड़ा एकल इकाई कारखाना (Single Unit Plant) था। सीमेंट उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए वर्ष 1950 में समान क्षमता वाले कारखाना को लगाया गया। इसके बाद 1956 में प्रतिदिन 800 टन सीमेंट उत्पादन क्षमता वाले तीसरे कारखाना को लगाया गया।

इसके बाद पुरे देश में अशोक सीमेंट लिमिटेड ने अपनी नई पहचान के साथ साथ कामयाबी के सभी मुकाम को अपने नाम कर लिया था।

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